अगर कोई व्यक्ति समय-समय पर अपनी जांच कराता है तो गुर्दे पर आंच आने की आशंका बेहद कम हो जाती है। देश में गुर्दा रोगियों की संख्या तेज रफ्तार से बढ़ रही है। वहीं गुर्दा प्रत्यारोपण कराने के बाद भी कुछ मरीजों की तकलीफ नहीं जाती।
वहीं सफदरजंग अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु वर्मा ने बताया कि हमारे शरीर में किडनी का विशेष महत्व है। हमें इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए लेकिन बदलती जीवनशैली इसे नुकसान पहुंचा रही है।
जिन परिवारों में किडनी की समस्या रही है, उनके 35 वर्ष या इससे अधिक के लोगों को हर साल अपनी जांच करवानी चाहिए। इसका सबसे बेहतर उपचार समय रहते रोकथाम ही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया में इस समय करीब 85 करोड़ लोग गुर्दे की समस्या से पीड़ित हैं।
देश में भी करीब 10 फीसदी लोगों में गुर्दा की समस्याएं हैं। यदि समय रहते लोग अपनी जीवनशैली में सुधार नहीं करेंगे तो वर्ष 2040 तक गुर्दे की परेशानी आकस्मिक मौत का पांचवां सबसे बड़ा कारण बन सकती है।
उन्होंने बताया कि गुर्दा दिवस पर लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है। इस बार किडनी हेल्थ फॉर एवरी वन एवेरीवेयर फ्रॉम प्रिवेंशन टू डिटेंशन एंड एक्यूटेबल एक्सेस टू केअर थीम के साथ दुनिया भर में ये दिवस मनाया जाएगा।