वाराणसी से पकड़े गए नक्सली बच्चा प्रसाद उर्फ बलराज उर्फ अरविंद की एक और बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। वह डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाकर पांच-छह राज्यों में सीएए विरोध के आड़ में लोगों को भड़काकर हिंसा फैलाने की तैयारी में था।
इसके लिए वह दिल्ली, पटियाला, मध्यप्रदेश, कानपुर और बिहार के पुराने कॉमरेड से संपर्क कर बैठकें कर रहा था। जांच एजेंसी की तहकीकात में यह खुलासा हुआ है। एटीएस वाराणसी की टीम ने बिहार पुलिस की मदद से सीपीआई माओवादी संगठन के नक्सली बच्चा प्रसाद को शुक्रवार को गिरफ्तार किया था।
जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक बच्चा प्रसाद 2018 में वारंगल जेल से छूटा था। वहीं कानपुर के किदवई नगर व नौबस्ता थाने में दर्ज मामले में कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। वर्तमान में वह डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम का संगठन बनाने के प्रयास में था।
इसके लिए वह कॉमरेड के संपर्क में था। दिल्ली निवासी कुलवीर महेंदु व अर्जुन के अलावा पटियाला के एमडी डॉक्टर के साथ कई मीटिंग की थी। कानपुर में भी वह उन साथियों से संपर्क कर रहा था, जो 2010 में उसके साथ जेल गए थे।
इसके लिए वह कॉमरेड के संपर्क में था। दिल्ली निवासी कुलवीर महेंदु व अर्जुन के अलावा पटियाला के एमडी डॉक्टर के साथ कई मीटिंग की थी। कानपुर में भी वह उन साथियों से संपर्क कर रहा था, जो 2010 में उसके साथ जेल गए थे।
सूत्रों के मुताबिक जल्द से जल्द वह एक बड़ा संगठन खड़ा कर सरकार के खिलाफ विद्रोह कराने की फिराक में था। इसमें उसने वो शहर और प्रदेश चिह्नित किए थे, जहां हाल में हिंसा हुई। संगठन को माओवादी फंडिंग करने की तैयारी में थे।
सीमा आजाद से भी संपर्क
2010 में जब बच्चा गिरफ्तार हुआ था तो उसकी मदद से एसटीएफ ने प्रयागराज निवासी सीपीआई माओवादी संगठन से जुड़ी रहीं सीमा आजाद को गिरफ्तार किया था। पिछले साल आठ जुलाई को सीमा के भाई मनीष को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक एक बार फिर बच्चा प्रसाद सीमा के संपर्क में था। जांच व सुरक्षा एजेंसियां गंभीरता से जांच कर रही हैं।
सीमा आजाद से भी संपर्क
2010 में जब बच्चा गिरफ्तार हुआ था तो उसकी मदद से एसटीएफ ने प्रयागराज निवासी सीपीआई माओवादी संगठन से जुड़ी रहीं सीमा आजाद को गिरफ्तार किया था। पिछले साल आठ जुलाई को सीमा के भाई मनीष को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक एक बार फिर बच्चा प्रसाद सीमा के संपर्क में था। जांच व सुरक्षा एजेंसियां गंभीरता से जांच कर रही हैं।
बच्चा की हो रही थी निगरानी
सुरक्षा एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि 2018 में जेल से छूटने के बाद संगठन के पदाधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई बड़ा पद नहीं मिला। दरअसल संगठन का कोई भी शख्स जब पकड़ा जाता है और जेल से छूटता है तो उस पर संगठन भरोसा नहीं करता। कुछ महीनों या साल तक उसकी निगरानी की जाती है। अगर ये साफ हो जाता है कि वह पुलिस से मिला नहीं और संगठन के प्रति समर्पित है। तभी उसको अहम जिम्मेदारी दी जाती है।
पुराने साथियों से पूछताछ
शहर में एक दंपति समेत आठ-दस लोग ऐसे हैं जो बच्चा के सीधे संपर्क में रहे हैं। जांच एजेंसियों ने बच्चा की गिरफ्तारी के बाद यहां पर उसके साथियों से पूछताछ की है। उनकी निगरानी भी की जा रही है।
सुरक्षा एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि 2018 में जेल से छूटने के बाद संगठन के पदाधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई बड़ा पद नहीं मिला। दरअसल संगठन का कोई भी शख्स जब पकड़ा जाता है और जेल से छूटता है तो उस पर संगठन भरोसा नहीं करता। कुछ महीनों या साल तक उसकी निगरानी की जाती है। अगर ये साफ हो जाता है कि वह पुलिस से मिला नहीं और संगठन के प्रति समर्पित है। तभी उसको अहम जिम्मेदारी दी जाती है।
पुराने साथियों से पूछताछ
शहर में एक दंपति समेत आठ-दस लोग ऐसे हैं जो बच्चा के सीधे संपर्क में रहे हैं। जांच एजेंसियों ने बच्चा की गिरफ्तारी के बाद यहां पर उसके साथियों से पूछताछ की है। उनकी निगरानी भी की जा रही है।