जिस बेटी के बॉक्सिंग करने पर घरवालों को था ऐतराज, उसी ने बढ़ाया मान, अब ओलंपिक में खेलेगी - GRAMEEN SANDESH

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जिस बेटी के बॉक्सिंग करने पर घरवालों को था ऐतराज, उसी ने बढ़ाया मान, अब ओलंपिक में खेलेगी


ओलंपिक 2020 में एक बार फिर भिवानी के मुक्केबाजों का दम दिखेगा। भिवानी के विकास कृष्ण यादव ने 69 किलो और पूजा बोहरा ने 75 किलो भार वर्ग में क्वालीफाई कर लिया है। पिछले लगातार चार ओलंपिक में भिवानी के मुक्केबाजों ने ओलंपिक में क्वालीफाई किया है। 2008 ओलंपिक में भिवानी के मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।


 

पिछले तीन ओलंपिक में भिवानी के मुक्केबाज विकास यादव ने ओलंपिक में दम दिखाया मगर पदक नहीं जीत सके। इस बार भिवानी के दो मुक्केबाज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। जबकि साक्षी भी अपना पहला मुकाबला जीत कर क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी है और ओलंपिक क्वालीफाई करने से एक कदम दूर है।

एशिया ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर महिला वर्ग के 75 किलो भार वर्ग में जैसे ही भारतीय मुक्केबाज पूजा बोहरा ने थाईलैंड की मुक्केबाज पोर्निपा को हराया पूरे देश के साथ परिजन भी खुशी में झूमे उठे। बधाई देने वालों का घर पर तांता लग गया। मुक्केबाज पूजा ने परिजनों के विरोध के बावजूद ओलंपिक तक का सफर तय किया।

कभी बेटी की मुक्केबाजी करने का विरोध करने वाले परिजन खुशी से सराबोर नजर आए और एक ही बात कही कि अब बेटी ओलंपिक में भी मेडल जीतेगी। एसआई पिता राजबीर सिंह बेटी की जीत से इतने उत्साहित नजर आए कि कहने लगे, अब पूजा की तरह दोहती दीपांशी को भी बड़ा मुक्केबाज बनाएंगे।

भिवानी में महिला मुक्केबाजों की आदर्श अनुभवी खिलाड़ी पूजा बोहरा ने एशिया ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर के 75 किलो भार वर्ग में थाईलैंड की युवा मुक्केबाज को एकतरफा मुकाबले में 5-0 से हराकर साबित कर दिया कि अनुभव भी बड़ी चीज है। बेटी की जीत से परिवार के सदस्य उत्साहित हैं। इस जीत के साथ पूजा ने ओलंपिक का टिकट पक्का कर दिया है और वह ओलंपिक क्वालीफाई करने वाली मैरीकॉम के बाद दूसरी महिला मुक्केबाज है।

पूजा के खेल करियर की शुरूआत भी विरोध के साथ हुई। नीमड़ीवाली गांव में जन्मी में पूजा के पिता राजबीर सिंह फिलहाल हरियाणा पुलिस में एसआई है। ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों के खेलने का पहले ही विरोध होता था। पूजा ने भी जब मुक्केबाजी चुनी तो परिजनों ने विरोध किया। पूजा जब आदर्श कॉलेज में पढ़ती थी तो उसे शिक्षिका मुकेश रानी का साथ मिला।

पूजा ने मुक्केबाज बनने की अपनी इच्छा शिक्षिका मुकेश के सामने रखी तो मुकेश रानी ने अपनी पति मुक्केबाजी कोच संजय से बात की। यहीं से पूजा का सफर शुरू हुआ। पूजा के परिजन मुक्केबाजी का विरोध करते और पूजा शिक्षिका से मिलने के बहाने मुक्केबाजी सीखने जाती। जब पूजा ने अपने मुक्कों के दम पर पदक जीतना शुरू किया तो परिजन भी साथ देने लगे।



अनुभवी पूजा से सबसे ज्यादा उम्मीद


नीमड़ीवाली में जन्मी अनुभवी मुक्केबाज पूजा बोहरा से सबसे ज्यादा आस है। उम्मीद है कि ओलंपिक क्वालीफाई करने के बाद वह अब ओलंपिक में भी विजयी पंच जमा मेडल जीतेगी। पूजा का कॅरियर भी उपलब्धियों से भरा है। पूजा ने 2019 में बैंकाक में हुई एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता।

इससे पहले 2015 में हुई एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज और 2012 में सिल्वर मेडल जीता। पूजा ने 2014 में हुए एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के 10 पदक, राष्ट्रीय स्तर पर आठ गोल्ड सहित करीब दर्जनभर पदक और स्टेट लेवल पर अनेक पदक जीत चुकी है।

बेटी पूजा जाते समय बोलकर गई थी कि पापा ओलंपिक का टिकट लेकर आऊंगी और मैंने उसे आशीर्वाद दिया था। आज बेटी की जीत पर नाज है और पूरे देश को गर्व। शुरुआत में पूजा के बॉक्सिंग खेलने का विरोध था मगर कोच संजय और उनकी पत्नी मुकेश रानी ने ही पूजा को अभ्यास कराया। अब तो मेरी दोहती 13 वर्षीय दीपांशी को भी बॉक्सर बनाऊंगा।
- राजबीर सिंह, पूजा के पिता

पूजा में बॉक्सिंग के प्रति जुनून है। उसने परिवार वालों के विरोध के बावजूद बॉक्सिंग की। परिवार वालों ने पूजा के बॉक्सिंग सीखने का एक-दो साल विरोध किया था मगर बाद में सभी मान गए। पूजा की बॉक्सिंग तकनीक बेहतर है और अब अनुभव भी काफी हो गया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि पूजा ओलंपिक में मेडल जीतेगी।
- संजय कुमार, बॉक्सिंग कोच



तीसरी बार ओलंपिक में दम दिखाएगा विकास


एशिया ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर में अर्जुन अवार्डी मुक्केबाज विकास यादव ने भी अपना मुकाबला जीत ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। लगातार तीसरे ओलंपिक में मुक्कों का दम दिखाने वाले संभवत: विकास देश के पहले मुक्केबाज है। विकास की जीत पर परिजनों ने खुशी मनाई।

विकास यादव ने ओलंपिक क्वालीफायर के 69 किलोभार वर्ग के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जापान के सेवोनरेट्स ओकाजावा को 5-0 से हराकर सेमिफाइनल में प्रवेश किया। लगातार तीसरे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर विकास के परिजन, कोच, साथी सभी खुश हैं और बधाई दे रहे हैं।

विकास के पिता कृष्ण यादव ने बताया कि पिछली बार ओलंपिक में मैच के काफी घंटों बाद परिणाम बदल कर विकास के साथ चीटिंग की गई थी। उस समय विकास ही नहीं सभी निराश हो गए थे। इस बार ओलंपिक में मेडल जरूर आएगा। कोच विष्णुभगवान ने भी जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि विकास की तकनीक बेहतर है और इस बार वह ओलंपिक में पदक जरूर जीतेगा।

इस बार पदक की आस : विकास यादव 2012, 2016 और 2020 ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले देश के संभवत: पहले मुक्केबाज है। 2012 में अपने दूसरे मुकाबले में हार के कारण विकास को बाहर होना पड़ा। 2016 में विकास ने अपना मुकाबला जीता मगर काफी घंटों बाद निर्णय बदलते हुए विकास को हारा घोषित कर दिया गया। 2020 में एक बार फिर विकास ने ओलंपिक का टिकट पक्का किया है और इस बार उम्मीद है कि वह मेडल जरूरत जीतेगा।

मेडल से भरा है विकास का रिकार्ड : मुक्केबाज विकास यादव का रिकार्ड मेडल से भरा है। वह एशियन गेम में तीन मेडल जीतने वाले अकेले मुक्केबाज हैं। उसने वर्ष 2010 के एशियन गेम में गोल्ड और 2014, 2018 में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड जीता। एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2015 में सिल्वर मेडल जीता। इनके अलावा भी वह राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक जीत चुका है।


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